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भगवान विष्णु के चौथे अवतार का जन्मदिन – नरसिंह जयंती 2025
Blog / ज्योतिषाचार्य श्री योगेश जोशी जी / 11 April, 2025
Parashurama Jayanti 2025:
भगवान नृसिंह भगवान विष्णु के चौथे अवतार हैं, जिन्होंने एक शक्तिशाली राक्षस हिरण्यकश्यप को मारने के लिए एक ऐसे रूप में जन्म लिया था, जिसमें वह शरीर मानव का और सिर सिंह अर्थात शेर का था। जिस दिन भगवान नृसिंह ने इस अद्भुत रूप में अवतार लिया था, उस दिन को नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान नृसिंह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं। धार्मिक ग्रंथों में भगवान नृसिंह की महानता और नृसिंह जयंती के महत्व का विस्तार से वर्णन किया गया है। जो भक्त देवताओं की पूजा करते हैं और नृसिंह जयंती पर उपवास रखते हैं, वे अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं, अपने दुर्भाग्य को समाप्त कर सकते हैं और अपने जीवन से नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा पा सकते हैं। वे कई बड़ी बीमारियों से भी सुरक्षित रहते हैं। इस दिन भगवान नृसिंह की पूजा करने से भक्तों को सुख, समृद्धि, साहस और विजय का आशीर्वाद मिलता है।
नरसिंह जयंती 2025 तिथि और महत्व
त्योहार वैशाख चतुर्दशी के रूप में जाना जाता शुक्ल पक्ष के 14 वें दिन मनाया जाता है। नरसिम्हा जयंती 2025 निम्नलिखित तिथि और समय के अनुसार मनाई जाएगी: नरसिंह जयंती: रविवार, मई 11, 2025 नरसिम्हा जयंती सयाना कला पूजा समय: 04:33 पी एम से 07:12 पी एम नरसिंह जयंती मध्याह्न संकल्प समय: 11:17 ए एम से 01:55 पी एम| नरसिंह जयंती का लक्ष्य अधर्म को समाप्त करना और धर्म के मार्ग पर चलना है। जो इस दिन उपवास रखता है और ईमानदारी से भगवान से प्रार्थना करता है, उसे मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा, यह भी कहा जाता है कि यदि कोई दूसरों के प्रति शत्रुता दिखाता है तो उस व्यक्ति को इस दिन भगवान नरसिंह का श्रद्धापूर्वक सम्मान करना चाहिए और इससे वे शांत हो जाएंगे। भगवान नरसिंह अपने अनुयायियों को जीवन में बुरी नजर और साजिशों से बचाते हैं।
शनि प्रदोष के दिन कैसे करें शिवजी को प्रसन्न, पढ़ें सरल विधि एवं पूजन का शुभ मुहूर्त
Blog / ज्योतिषाचार्य श्री योगेश जोशी जी / 11 April, 2025
शनि प्रदोष व्रत पर किए जाने वाले उपाय शिवलिंग का अभिषेक
शनि प्रदोष व्रत को करने से सभी कष्टों का अंत होता है। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से आप आर्थिक समस्या से भी छुटकारा पा सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं ये उपाय कौन से हैं। Shani Pradosh Vrat Ke Upay: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। शिव पुराण में इस व्रत की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह व्रत हर मास की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, जो महीने में दो बार पड़ता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति इस व्रत का पालन करता है, उसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस व्रत को करने से सभी कष्टों का अंत होता है। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से आप आर्थिक समस्या से भी छुटकारा पा सकते हैं।
साल का पहला शनि प्रदोष व्रत कब?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल का पहला प्रदोष व्रत 11 जनवरी 2025 को पड़ रहा है। यह व्रत शनिवार को है, इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह तिथि 11 जनवरी को सुबह 8:21 बजे शुरू होकर 12 जनवरी को सुबह 6:33 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत 11 जनवरी को रखा जाएगा। इस दिन शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, और शहद से अभिषेक करें। भगवान शिव को बेलपत्र और धतूरा अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए इन्हें शिवलिंग पर चढ़ाएं। यह उपाय शनि दोष से राहत पाने में सहायक होता है।
Chaitra Amavasya 2025: चैत्र अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए जरूर करें ये
Blog / ज्योतिषाचार्य श्री योगेश जोशी जी / 1 April, 2025
Chaitra Amavasya 2025 :
इस साल चैत्र माह की अमावस्या 29 मार्च को है। अमावस्या के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व होता है। ऐसा करने से व्यक्ति को पुण्यकारी फलों की प्राप्ति होती है। अमावस्या का दिन पितरों को भी समर्पित माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या के दिन पितृ धरती लोक पर आते हैं। तो अमावस्या का दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। तो चलिए जानते हैं कि पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए अमावस्या के दिन कौनसे काम करने चाहिए।
अमावस्या के दिन करें ये काम, पितृ होंगे प्रसन्न
अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध भी किया जाता है। ऐसा करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। तो अगर आपकी कुंडली में पितृ दोष है तो चैत्र अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण जरूर करें। इस उपाय को करने से आपको पितृ दोष से मुक्ति मिलेगी। वहीं पितरों का पिंडदान और श्राद्ध करने से पूर्वजों की अपार कृपा प्राप्त होती है। साथ ही पितृ दोष का प्रभाव भी कम होता है। चैत्र अमावस्या के दिन स्नान आदि के बाद पितरों के नाम का गरीबों और जरूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र, धन और भोजन का दान भी अवश्य करें। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। अमावस्या के दिन गाय, कौआ, कुत्ता को भोजन कराएं। कहा जाता है कि ऐसा करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है और इसके साथ ही साथ पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
